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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
एकस्मिन्नणिमादिभिर्विलसितं भूमी-गृहे सिद्धिभिः
Goddess is commonly depicted as sitting down around the petals of lotus that is certainly kept on the horizontal entire body of Lord Shiva.
The Chandi Route, an integral part of worship and spiritual observe, Primarily in the course of Navaratri, will not be merely a textual content but a journey in alone. Its recitation is a robust Resource from the seeker's arsenal, aiding while in the navigation from ignorance to enlightenment.
पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥
कामेश्यादिभिराज्ञयैव ललिता-देव्याः समुद्भासितं
The title “Tripura” signifies the three worlds, get more info plus the phrase “Sundari” usually means essentially the most attractive female. The title with the Goddess simply implies by far the most attractive Woman from the three worlds.
The worship of Tripura Sundari can be a journey to self-realization, the place her divine splendor serves like a beacon, guiding devotees to the ultimate truth.
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
As among the 10 Mahavidyas, her story weaves throughout the tapestry of Hindu mythology, presenting a rich narrative that symbolizes the triumph of excellent in excess of evil as well as the spiritual journey from ignorance to enlightenment.